सर्द शबों का ये मौसम ऊपर से दर्द पुराने कुछ
चुभते हैं हवा को साथ लिए इश्क़ के फ़साने कुछ
इक करवट पे चेहरा उसका दूजी पे यादों का डेरा
पलकों से रोज़ छलकते हैं अश्क़ों के पैमाने कुछ

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