पिछड़ता जा रहा है हर समय तू,

दौड़ में फिर भी भागना पड़ेगा।

मत सोच बेकार गई अनगिनत रातें,

स्वप्न ना आये जबतक, तबतक जागना पड़ेगा।।

अँधेरा है तो जुगनुओं को मशाल बना,

नसीब है बुरा तो मेहनत को अपनी ढाल बना।

शून्य पर है अस्तित्व आज भले ही तेरा,

अथक जतन से उसको बेमिसाल बना।।

याद रख मिलता नहीं शिखर रातों-रात किसी को,

चलना पड़ेगा छाले लिये पैरों में मीलों तक तुझे।

प्यासा है जीत का कई सदियों से जीवन मगर,

सूखे रेगिस्तान से होकर जाना पड़ेगा झीलों तक तुझे।।

गिरा मत शस्त्र, उठ और रण कर,

मन को लौह बना और विजय का प्रण कर।

कल करूँगा सोच मत, कल काल है “बैरागी”,

तय कर अपने मार्ग को आज, अभी, इसी क्षण कर।।

फिर हार का कोई भय नहीं रहेगा मस्तिष्क में तेरे,

हौंसले की तलवार से बाधाओं को चीरता जायेगा।

शीर्ष पर पहुंचकर देखेगा जब पीछे मुड़कर तू,

हर पड़ाव पर अपनी वीरता का परचम लहराता पायेगा।।

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