मन अनंत विचारों का एक घर

जिसमें कई दीवारें, कई कमरे
कई दरवाजे, कई खिड़कियाँ

हर दीवार में इच्छाओं की दरार
हर कमरे में भावनाओं के जाले
हर खिड़की में वहम का पर्दा
हर दरवाजे पर मोह के ताले

और उस घर का मालिक मैं “इंसान”

ज्ञानी भी, मूर्ख भी
शांत भी, क्रोधी भी
चंचल भी, सरल भी
दाता भी, लोभी भी

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