“ज़िम्मेदारी”
ख़्वाबों का बिस्तर छुपाने के लिए ज़िम्मेदारी की चादर को ओढ़ना पड़ा ना जाने कब इतने बड़े हो गए कि घर की ख़ातिर ही घर को छोड़ना पड़ा
ख़्वाबों का बिस्तर छुपाने के लिए ज़िम्मेदारी की चादर को ओढ़ना पड़ा ना जाने कब इतने बड़े हो गए कि घर की ख़ातिर ही घर को छोड़ना पड़ा
तुम भीड़ में रहकर चलना चाहते होमैं ख़ुद में रहकर ख़ुशियाँ तराशता हूँ तुम शोर में जीने की वजह ढूंढ़ते होमैं ख़ामोशियों में एक दुनिया तलाशता हूँ तुम भीगने की…
यदि संघर्ष की कोई सीमा नहीं होती और परिणाम का कोई तय समय नहीं होता, तो इस अवधि में मिलने वाली निराशा और कष्ट का पारितोषिक ऐसा होना चाहिए, जिसकी…
प्रश्न है विचलित मन के भीतर उत्तर का निशान नहींव्याकुल मन की शंकाओं का कोई भी समाधान नहीं
पिछड़ता जा रहा है हर समय तू, दौड़ में फिर भी भागना पड़ेगा। मत सोच बेकार गई अनगिनत रातें, स्वप्न ना आये जबतक, तबतक जागना पड़ेगा।। अँधेरा है तो जुगनुओं…
मन अनंत विचारों का एक घर जिसमें कई दीवारें, कई कमरेकई दरवाजे, कई खिड़कियाँ हर दीवार में इच्छाओं की दरारहर कमरे में भावनाओं के जालेहर खिड़की में वहम का पर्दाहर…
और जब एक दिन मैं नहीं रहूंगा, तो तुम ही सितारों में मुझे ढूँढ़ते नज़र आओगे, मैं तुम्हें ऊपर से देख रहा हूँगा। मगर फिर भी सबसे छिपता फिरूंगा ठीक…
कभी-कभी भावनाओं के प्रवाह में विचलित मन ना किनारे पर जाने की चेष्ठा करता है, और ना ही डूबना चाहता है। वह शंका रूपी नौका में बैठा हुआ केवल इधर-उधर…
सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर धनौल्टी से 8 किलोमीटर और चंबा से 22 किलोमीटर की दूरी पर, कद्दूखाल नामक…
गहमागहमी बढ़ी सियासी गलियारों मेंकुर्सी बचाने की जद्दोजहद थीबैठे कुछ विद्वान मंडली लगाएमुद्दा था अगला मुद्दा किसको बनाएं? एक ज्ञानी बोला, रोजगार को बनाते हैंभीड़ बहुत है एक दो को…