तुमने वो नज़ारा देखा है जब धूप बारिश से लिपटकर ज़मीं पर पड़ती है और कहीं से इंद्रधनुष आ निकलता है। वो नज़ारा, ख़ूबसूरत होता है ना। जब एक बीज मिट्टी के आगोश में छिपता है और फिर धीरे धीरे पौधा बनकर फूलों की चादर ओढ़ता है। वो फूल, खूबसूरत होते हैं ना। जब एक बच्चा पैदा होता है तो उसकी किलकारियां सुनके माँ के चेहरे पर सुकून का एक अहसास आता है। वो अहसास, खूबसूरत होता है ना। एक बुरे गुजरे दिन बाद इत्मिनान की नींद और उस नींद में दिल को गहराइयों तक खुश कर देने वाले ख़्वाब का आना। वो ख़्वाब, खूबसूरत होता है ना। सुबह उठके कभी पहाड़ी से सूरज को उगते देखना और शाम को किसी सागर किनारे बैठे उसे डूबते देखना, जनवरी की सर्दी में अलाव जलाकर गोल घेरे में बैठना और दोस्तों के साथ कभी ख़त्म ना होने वाली बातें करना। बचपन में दिन भर क्रिकेट खेलना और जवानी में बच्चों को खेलता देखकर उनसे कहना “यार एक बाल खिला दो”। बारिश में छाता होने के बाद भी भीगना और चाय की चुस्कियों के साथ कंपकंपाते होठों को गर्माहट देना। माँ की गोद में सोना, पिता के कंधे पर बैठकर घूमना, भाई-बहन से नोंक-झोंक, दोस्तों के साथ हँसी- मज़ाक। खूबसरत होता है ना। ये सारे खूबसूरत लम्हे यादों की उन किताबों के पन्ने हैं, जिन्हें ज़िन्दगी के बस्ते में सम्भालकर रखा जाता है ताकि जब मन करे निकालकर पढ़ लो और उन्हें पढ़ते वक्त हर दफ़ा आंखों में नमी मगर होटों पर एक मुस्कुराहट आ जाती है। वो मुस्कुराहट, खूबसूरत होती है ना।
By – The Half Mask Writer