कुछ धर्म निभाने हैं मुझको संयम से प्रतीक्षा करना तुम
अंकित कर हृदय में चित्र मेरा हर विरह भाव से लड़ना तुम
मैं बन नहीं सकता राम कभी यह भलीभांति है ज्ञात मुझे
चाह नहीं मुझे सीता की हो सके उर्मिला बनना तुम
कुछ धर्म निभाने हैं मुझको संयम से प्रतीक्षा करना तुम
अंकित कर हृदय में चित्र मेरा हर विरह भाव से लड़ना तुम
मैं बन नहीं सकता राम कभी यह भलीभांति है ज्ञात मुझे
चाह नहीं मुझे सीता की हो सके उर्मिला बनना तुम
The Half Mask Writer