जब रात लगा रही होगी ख़ामोशी के पर्दे
और चाँद रौशनी से तेरा बिस्तर सजा रहा होगा

जब तारों की टिमटिमाहट सी झपकेंगी पलकें
और हवा का झोंका तेरी ज़ुल्फ़ सहला रहा होगा

जब मिट्टी की भीनी ख़ुश्बू कमरा महकाएगी
और आसमां तेरी ख़ातिर लोरी गा रहा होगा

जब नींद की बांहें लेंगी आहिस्ता आगोश में
और खूबसूरत सा एक ख़्वाब तुझे आ रहा होगा

तब किसी और ख़्वाब में तेरी तलाश करता मैं
हर किसी को खुद से बनाई तस्वीर दिखाते हुए

बयां करता तेरे रूप का एक-एक टुकड़ा
सो रहा हूँगा अपने बिस्तर पर मुस्कुराते हुए

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