समझदार भी मूर्ख सभा में,पात्र हँसी का बन जाता है। मितव्ययी होके शब्द जो खर्चे,ज्ञानी वह ही कहलाता है।। The Half Mask Writer Post navigation “पुरुष” “विश्व हिंदी दिवस”