तुम्हें याद है ना?
वो रात जब तुम्हारे घर की छत पर
दीवारें फांदे चोरी-छिपे आया था मैं
और तुमने थर्मस में बचा के रखी थी
अदरक वाली चाय।
तुम्हें सुनने थे ना लता के गाने?
और मैं वो पुराना सोनी का वॉकमैन लेके
दोस्तों से कैसेट में गाने भरवाकर लाया था।।
हम बैठे थे दोनों छत की मुंडेर पर हाथों में
चाय के कुल्हड़ लिए चांद की ओर मुंह करके,
आज भी वो कैसेट मेरे पास है और मैं अक्सर
सुनता हूँ लता का वो एक खास गाना
जिसे तुमने मेरे कांधे में अपना सिर रखकर
सुना था।