जब स्वप्न तुम्हारी आँखों से गिरकर तकिए पर बिछ जाएं
जब भय का कोई प्रश्न ना हो पौरुष के उत्तर मिल जाएं
जब मोह लोभ आलस्य व्यथाएं दृष्टिकोण से बाहर हों
जब वीर हृदय के सम्मुख सारे प्रतिद्वंदी बस कायर हों
तब नाद विजय का करणों में तुम्हें स्वत: सुनाई देगा पार्थ
लहराता ध्वज शौर्य चक्षु को स्वयं दिखाई देगा पार्थ