“ख़्वाब”
जब रात लगा रही होगी ख़ामोशी के पर्देऔर चाँद रौशनी से तेरा बिस्तर सजा रहा होगा जब तारों की टिमटिमाहट सी झपकेंगी पलकेंऔर हवा का झोंका तेरी ज़ुल्फ़ सहला रहा…
जब रात लगा रही होगी ख़ामोशी के पर्देऔर चाँद रौशनी से तेरा बिस्तर सजा रहा होगा जब तारों की टिमटिमाहट सी झपकेंगी पलकेंऔर हवा का झोंका तेरी ज़ुल्फ़ सहला रहा…
कुछ धर्म निभाने हैं मुझको संयम से प्रतीक्षा करना तुमअंकित कर हृदय में चित्र मेरा हर विरह भाव से लड़ना तुममैं बन नहीं सकता राम कभी यह भलीभांति है ज्ञात…
एक सफ़र जिसमें तुम्हारी बगल वाली सीट में कोई परिचित ना बैठा हो, अक्सर कई हमसफ़र दे जाता है।हमसफ़र जो दिखते तो नहीं मगर महसूस भरपूर होते हैं और जब…
अक्सर शहर और गाँव की वार्ता के मध्य एक कस्बे को ठीक उसी प्रकार अनदेखा कर दिया जिस प्रकार गरीबी और अमीरी की बहस के मध्य एक मध्यम वर्ग को।एक…
मैं अब नज़र ना आऊं तो मायूस ना होनामैं बिन ख़बर खो जाऊं तो मायूस ना होनाआँखें जगा के रक्खी थी मैंने अरसे सेमैं लंबी नींद सो जाऊं तो मायूस…
ख़ामोशियों में छुपी हुई आवाज ढूँढ़ता हूँमैं बीते हुए कल में अपना आज ढूँढ़ता हूँ
तुम दिनकर की किरणों सी जब भी मुझको छूती हो वह स्पर्श मेरी काया का रोम-रोम गरमाता है केश तुम्हारे संग प्रवात के मद्धम जब लहलाते हैं वह सुंदरता का…
“मुलाक़ात काम ही होती है नींदों से आजकल,मेरे ख़्वाब मुझे रातों में सोने नहीं देते। “
असीमित संभावनाओं के मध्यहम सदैव उस संभावना का चयन करते हैंजिसके पूर्ण होने मेंहमारा कोई स्वार्थ निहित होता है।
ख़्वाबों का बिस्तर छुपाने के लिए ज़िम्मेदारी की चादर को ओढ़ना पड़ा ना जाने कब इतने बड़े हो गए कि घर की ख़ातिर ही घर को छोड़ना पड़ा