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“तुम”

जब कभी कोई शाम ढ़लने को होऔर आसमान नारंगी किनारा थामे हुए होपरिंदे अपने घोंसलों को लौट रहे होंऔर हवा की ठंडक महसूस होने लगेतब किसी झील के किनारे परपानी…

मुलाक़ात

मैं हकीकत में मिल नहीं पाया ज़रा मसला हैकिसी दिन ख़्वाब में ख़ुद से मिलाऊंगा तुम्हें बहुत हँसते हो ना मेरी बेबसी पे तुमकिसी दिन तसल्ली से बैठकर रुलाऊंगा तुम्हें…

“तुम, मैं और लता!”

तुम्हें याद है ना?वो रात जब तुम्हारे घर की छत परदीवारें फांदे चोरी-छिपे आया था मैंऔर तुमने थर्मस में बचा के रखी थीअदरक वाली चाय।तुम्हें सुनने थे ना लता के…

“विश्व हिंदी दिवस”

भाषाओं के मूढ़ तर्क मेंनैसर्गिक सम्मान है हिंदी,संस्कृति के शृंगार से शोभितअस्तित्व की पहचान है हिंदी।हृदय में ज्वाला प्रज्वल कर देऐसा इक आह्वान है हिंदी,विश्व पटल पर गर्व से सुदृढ़आर्यव्रत…