“ख़्वाब”

जब रात लगा रही होगी ख़ामोशी के पर्देऔर चाँद रौशनी से तेरा बिस्तर सजा रहा होगा जब तारों की टिमटिमाहट सी झपकेंगी पलकेंऔर हवा का झोंका तेरी ज़ुल्फ़ सहला रहा…

“विरह”

कुछ धर्म निभाने हैं मुझको संयम से प्रतीक्षा करना तुमअंकित कर हृदय में चित्र मेरा हर विरह भाव से लड़ना तुममैं बन नहीं सकता राम कभी यह भलीभांति है ज्ञात…

“बस, सड़क और सफ़र”

एक सफ़र जिसमें तुम्हारी बगल वाली सीट में कोई परिचित ना बैठा हो, अक्सर कई हमसफ़र दे जाता है।हमसफ़र जो दिखते तो नहीं मगर महसूस भरपूर होते हैं और जब…

“तुम दिनकर की किरणों सी”

तुम दिनकर की किरणों सी जब भी मुझको छूती हो वह स्पर्श मेरी काया का रोम-रोम गरमाता है केश तुम्हारे संग प्रवात के मद्धम जब लहलाते हैं वह सुंदरता का…